बहुमान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
mNo edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <p><span class="GRef"> मूलाचार/283 </span><span class="PrakritGatha">सुत्तत्थं जप्पंतो वायंतो चावि णिज्ज- राहेदुं । आसादणं ण कुज्जा तेण किदं होदि बहुमाणं ।283।</span> = <span class="HindiText">अंग- पूर्वादिका सम्यक् अर्थ उच्चारण करता वा पढ़ता, पढ़ाता हुआ जो भव्य कर्म निर्जरा के लिए अन्य आचार्यों का वा शास्त्रों का अपमान नहीं करता है वही बहुमान गुण को पालता है ।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका/113/261/3 </span><span class="SanskritText">बहुमाणे सम्मानं । शुचेः कृतांजलिपुटस्य अनाक्षिप्तमनसः सादरमध्ययनम् ।</span> = <span class="HindiText">पवित्रतासे, हाथ | <span class="GRef"> भगवती आराधना / विजयोदया टीका/113/261/3 </span><span class="SanskritText">बहुमाणे सम्मानं । शुचेः कृतांजलिपुटस्य अनाक्षिप्तमनसः सादरमध्ययनम् ।</span> = <span class="HindiText">पवित्रतासे, हाथ जोड़कर, मन को एकाग्र करके बड़े आदर से अध्ययन करना बहुमान विनय है ।</span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 9: | Line 9: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: ब]] | [[Category: ब]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 20:13, 9 September 2022
मूलाचार/283 सुत्तत्थं जप्पंतो वायंतो चावि णिज्ज- राहेदुं । आसादणं ण कुज्जा तेण किदं होदि बहुमाणं ।283। = अंग- पूर्वादिका सम्यक् अर्थ उच्चारण करता वा पढ़ता, पढ़ाता हुआ जो भव्य कर्म निर्जरा के लिए अन्य आचार्यों का वा शास्त्रों का अपमान नहीं करता है वही बहुमान गुण को पालता है ।
भगवती आराधना / विजयोदया टीका/113/261/3 बहुमाणे सम्मानं । शुचेः कृतांजलिपुटस्य अनाक्षिप्तमनसः सादरमध्ययनम् । = पवित्रतासे, हाथ जोड़कर, मन को एकाग्र करके बड़े आदर से अध्ययन करना बहुमान विनय है ।