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लवण समुद्र की ईशान व आग्नेय दिशा में स्थित द्वीप व उसके रक्षक देव।–देखें [[ लोक#7 | लोक - 7]]। | <p class="HindiText">लवण समुद्र की ईशान व आग्नेय दिशा में स्थित द्वीप व उसके रक्षक देव।–देखें [[ लोक#7 | लोक - 7]]।</p> | ||
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Revision as of 12:09, 10 September 2022
सिद्धांतकोष से
लवण समुद्र की ईशान व आग्नेय दिशा में स्थित द्वीप व उसके रक्षक देव।–देखें लोक - 7।
पुराणकोष से
(1) पूर्व लवणसमुद्र का वासी एक देव । भरतेश ने दिग्विजय के समय इसे अपने अधीन कर इससे भेंट स्वरूप हार, मुकुट, कुंडल, रत्न, वस्त्र तथा तीर्थोदक प्राप्त किया था । इसी देव को लक्ष्मण ने वाण-कौशल से अपने अधीन किया था तथा उससे भेंट प्राप्त की थीं । महापुराण 27.119-122, 128, 165, 68. 647-650, हरिवंशपुराण 11.5-11
(2) भरतक्षेत्र का एक देश । यहाँ के राजा को चक्री भरतेश ने अपने अधीन किया था । महापुराण 29.39, हरिवंशपुराण 18.127
(3) क्ज्रजंघ का एक सहयोगी । पद्मपुराण 102.154-157