कर्मस्तव: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> 55 प्राकृत गाथाओं वाला यह ग्रंथ कर्मों के बंध उदय सत्त्व की विवेचना करता है। दिगंबर पंचसंग्रह<span class="GRef"> (वि.श.9 ) </span> के‘कर्मस्तव’ नामक</br></span><span class="HindiText">तृतीय अधिकार में इसकी 53 गाथाओं का ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया है।322।दूसरी ओर विशेषावश्यक भाष्य<span class="GRef"> | <span class="HindiText"> 55 प्राकृत गाथाओं वाला यह ग्रंथ कर्मों के बंध उदय सत्त्व की विवेचना करता है। दिगंबर पंचसंग्रह<span class="GRef"> (वि.श.9 ) </span> के‘कर्मस्तव’ नामक</br></span><span class="HindiText">तृतीय अधिकार में इसकी 53 गाथाओं का ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया है।322।दूसरी ओर विशेषावश्यक भाष्य<span class="GRef"> (वि.650)</span> में </br></span><span class="HindiText">इसका नामोल्लेख पाया जाता है। इसका रचना काल <span class="GRef"> (वि.श.7-9)</span> माना जा सकता है।325। इस ग्रंथ पर 24 तथागाथा</span><span class="HindiText"> वाले दो भाष्य <br>उपलब्ध हैं,जिनके रचयिता के विषय में कुछ ज्ञात नहीं है तीसरी एक संस्कृत वृत्ति है जो गोविंदाचार्य कृतहै।432।<span class="GRef"> (जै./1/पृष्ठ संख्या)</span> | ||
Revision as of 16:33, 10 September 2022
सिद्धांतकोष से
55 प्राकृत गाथाओं वाला यह ग्रंथ कर्मों के बंध उदय सत्त्व की विवेचना करता है। दिगंबर पंचसंग्रह (वि.श.9 ) के‘कर्मस्तव’ नामक
तृतीय अधिकार में इसकी 53 गाथाओं का ज्यों का त्यों ग्रहण कर लिया गया है।322।दूसरी ओर विशेषावश्यक भाष्य (वि.650) में
इसका नामोल्लेख पाया जाता है। इसका रचना काल (वि.श.7-9) माना जा सकता है।325। इस ग्रंथ पर 24 तथागाथा वाले दो भाष्य
उपलब्ध हैं,जिनके रचयिता के विषय में कुछ ज्ञात नहीं है तीसरी एक संस्कृत वृत्ति है जो गोविंदाचार्य कृतहै।432। (जै./1/पृष्ठ संख्या)
पुराणकोष से
एक प्रसिद्ध ग्रंथ।–देखें परिशिष्ट - 1।
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