लब्धि विधान व्रत: Difference between revisions
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प्रथम विधि - भादो, माघ व चैत्र की शु. 1,3 को उपवास तथा 2,4 की पारणा करे। इस प्रकार छह वर्ष पर्यंत करे। तथा ‘ओं ह्नीं महावीराय नमः ’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. 54)। | |||
द्वितीय विधि - तीन वर्ष पर्यंत भादो, माघ व चैत्र मास में कृ. 15 को एकाशन, 1-3 को तेला तथा 4 को एकाशन करे। तथा उपरोक्त मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. 54)। | |||
तृतीय विधि- प्रतिवर्ष भादो, माघ व चैत्र में शु. 1,3 को एकाशन और 2 को उपवास। तथा उपरोक्त मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं. पृ. 54)। | |||
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Latest revision as of 15:25, 12 September 2022
इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है -
प्रथम विधि - भादो, माघ व चैत्र की शु. 1,3 को उपवास तथा 2,4 की पारणा करे। इस प्रकार छह वर्ष पर्यंत करे। तथा ‘ओं ह्नीं महावीराय नमः ’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. 54)।
द्वितीय विधि - तीन वर्ष पर्यंत भादो, माघ व चैत्र मास में कृ. 15 को एकाशन, 1-3 को तेला तथा 4 को एकाशन करे। तथा उपरोक्त मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं./पृ. 54)।
तृतीय विधि- प्रतिवर्ष भादो, माघ व चैत्र में शु. 1,3 को एकाशन और 2 को उपवास। तथा उपरोक्त मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान सं. पृ. 54)।