जीवद्यशा: Difference between revisions
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== सिद्धांतकोष से == | ==सिद्धांतकोष से== | ||
―(<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/ </span>सर्ग/श्लोक)–राजगृह नगर के राजा जरासंध (प्रतिनारायण) की पुत्री थी। कंस के साथ विवाही गयी। (33/24) अपनी ननद देवकी के रजोवस्त्र अतिमुक्तक मुनि को दिखाने पर मुनि ने इसे श्राप दिया कि देवकी के पुत्र द्वारा ही उसका पति व पुत्र दोनों मारे जायेंगे। (32/33-36)। और ऐसा ही हुआ। (36/45)। | ―(<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/ </span>सर्ग/श्लोक)–राजगृह नगर के राजा जरासंध (प्रतिनारायण) की पुत्री थी। कंस के साथ विवाही गयी। (33/24) अपनी ननद देवकी के रजोवस्त्र अतिमुक्तक मुनि को दिखाने पर मुनि ने इसे श्राप दिया कि देवकी के पुत्र द्वारा ही उसका पति व पुत्र दोनों मारे जायेंगे। (32/33-36)। और ऐसा ही हुआ। (36/45)। | ||
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== पुराणकोष से == | ==पुराणकोष से== | ||
<div class="HindiText"> <p> | <div class="HindiText"> <p> राजगृह नगर के राजा जरासंध और उसकी रानी कल्कि—सेना की पुत्री । इसके पिता ने घोषणा की थी कि जो पोदनपुर के राजा सिंहरथ को बांधकर लायेगा उसके साथ इसका विवाह होगा । इसका विवाह कंस के साथ हुआ था । इसने उपहास में अपनी ननद देवकी का रजोबस्त्र अतिमुक्तक मुनि को दिखाया था । इस पर मुनि ने उसे बताया था कि देवकी का पुत्र ही उसके पति और पुत्र दोनों को मारेगा । यह भविष्यवाणीं सत्य हुई । कृष्ण के द्वारा कंस का वध होने पर यह पिता जरासंध के पास कृष्ण से उसका बदला लेने को कहने गयी थी । जरासंध सुभित हुआ और कृष्ण के साथ शेर संग्राम हुआ जिसमें वह मारा गया । मनु—70 199-143, 494, <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 337-73 </span>पागुर—1144-45</p> | ||
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Revision as of 14:02, 14 September 2022
सिद्धांतकोष से
―( हरिवंशपुराण/ सर्ग/श्लोक)–राजगृह नगर के राजा जरासंध (प्रतिनारायण) की पुत्री थी। कंस के साथ विवाही गयी। (33/24) अपनी ननद देवकी के रजोवस्त्र अतिमुक्तक मुनि को दिखाने पर मुनि ने इसे श्राप दिया कि देवकी के पुत्र द्वारा ही उसका पति व पुत्र दोनों मारे जायेंगे। (32/33-36)। और ऐसा ही हुआ। (36/45)।
पुराणकोष से
राजगृह नगर के राजा जरासंध और उसकी रानी कल्कि—सेना की पुत्री । इसके पिता ने घोषणा की थी कि जो पोदनपुर के राजा सिंहरथ को बांधकर लायेगा उसके साथ इसका विवाह होगा । इसका विवाह कंस के साथ हुआ था । इसने उपहास में अपनी ननद देवकी का रजोबस्त्र अतिमुक्तक मुनि को दिखाया था । इस पर मुनि ने उसे बताया था कि देवकी का पुत्र ही उसके पति और पुत्र दोनों को मारेगा । यह भविष्यवाणीं सत्य हुई । कृष्ण के द्वारा कंस का वध होने पर यह पिता जरासंध के पास कृष्ण से उसका बदला लेने को कहने गयी थी । जरासंध सुभित हुआ और कृष्ण के साथ शेर संग्राम हुआ जिसमें वह मारा गया । मनु—70 199-143, 494, हरिवंशपुराण 337-73 पागुर—1144-45