कृतांतवक्त्र: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
mNo edit summary |
||
Line 24: | Line 24: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Revision as of 14:32, 15 September 2022
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/ सर्ग/श्लोक रामचंद्रजी का सेनापति था (97/44) दीक्षा ले, मरणकर देवपद प्राप्त किया (107/14-16) अपनी प्रतिज्ञानुसार लक्ष्मण की मृत्यु पर रामचंद्र को संबोधकर उनका मोह दूर किया (107/118-119)।
पुराणकोष से
मथुरा के राजा मधु को जीतने को तत्पर शत्रुघ्न की सेना का पद्म (राम) द्वारा नियुक्त सेनापति और राजा मधु के पुत्र लवणार्णव का हंता । पद्मपुराण 89.36,80 इसने अवर्णवाद के कारण गर्भवती होते हुए भी सीता को सिंहनाद नाम की निर्जन अटवी मे पद्म की आशा से रोते हुए छोड़ा था । पद्मपुराण 97.61-63, 150 अयोध्या में आये सकल-भूषण मुनि से भवभ्रमण के दु:खों को सुनकर इसे वैराग्य हो गया और इसने पद्म के समक्ष उनसे दीक्षा लेने का प्रस्ताव रखा । पद्म ने इसे रोकना चाहा, पर वह अपने निश्चय पर दृढ़ रहा । इसकी दृढ़ता देखकर पद्म ने इससे प्रतिज्ञा करायी कि यदि निर्वाण न हो और देव योनि ही मिले तो संकट के समय वह उनको संबोधने अवश्य आये । इसे इसने स्वीकार किया और सकल-भूषण मुनि से निर्ग्रंथ-दीक्षा धारण की । पद्मपुराण 107.1-18 मरकर यह देव हुआ । स्वर्ग से आकर इसने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार लक्ष्मण की मृत्यु होने पर पद्म को संबोधित कर उनका मोह दूर किया । पद्मपुराण 118.40-63 73-105 इसका अपरनाम वृतांतवक्र था । पद्मपुराण 1.98