अनंतकीर्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">1. प्रामाण्यभंग के कर्ता। समय-ई. श. 8। ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 3/166)। <br> | |||
2. बृहत् तथा लघु सर्वज्ञसिद्धि के कर्ता। प्रभाचंद्र (ई. 950-1020) ने अपने प्रमेयकमलमार्तंड में इनका अनुसरण किया। समय-ई. श. 9 का उत्तरार्ध। ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 3/614)। 3. यशःकीर्ति के दादा गुरु, ललितकीर्ति के गुरु। समय-वि. 1246 (ई. 1189)। </p> | |||
<p>(भद्रबाहुचरित/प्र. 7/कामताप्रसाद)।</p> | <p>(भद्रबाहुचरित/प्र. 7/कामताप्रसाद)।</p> | ||
Line 10: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] | |||
[[Category: इतिहास]] |
Revision as of 18:41, 21 September 2022
1. प्रामाण्यभंग के कर्ता। समय-ई. श. 8। ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 3/166)।
2. बृहत् तथा लघु सर्वज्ञसिद्धि के कर्ता। प्रभाचंद्र (ई. 950-1020) ने अपने प्रमेयकमलमार्तंड में इनका अनुसरण किया। समय-ई. श. 9 का उत्तरार्ध। ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 3/614)। 3. यशःकीर्ति के दादा गुरु, ललितकीर्ति के गुरु। समय-वि. 1246 (ई. 1189)।
(भद्रबाहुचरित/प्र. 7/कामताप्रसाद)।