विवक्षा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Sunehanayak (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 13: | Line 13: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Revision as of 17:07, 25 September 2022
स.भ.त./3/3 प्राश्निकप्रश्नज्ञानेन प्रतिपादकस्य विवक्षा जायते, विवक्षया च वाक्यप्रयोगः। = प्रश्नकर्ता के प्रश्नज्ञान से ही प्रतिपादन करने वाले की विवक्षा होती है और विवक्षा से वाक्य प्रयोग होता है।
स्वयंभू स्तोत्र/25/69 वक्तुरिच्छा विवक्षा। = वक्ता की इच्छा को विवक्षा कहते हैं। [अर्थात् नय को विवक्षा कहते हैं–देखें नय - I.1.1.2]। [AWm©V² Z` H$mo {ddjm H$hVo h¢&–Xo. Z`/I/1/1/2] &
- विवक्षा का विषय–देखें स्याद्वाद - 2, 3।