योगसार - चारित्र-अधिकार गाथा 437: Difference between revisions
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<p><b> सरलार्थ </b>:- बुद्धि, ज्ञान और | <p><b> सरलार्थ </b>:- बुद्धि, ज्ञान और असंमोह - इन तीनों से कर्म-फल में भेद होता है और इनसे ही देहधारी जीवों के सब कार्य भेद को प्राप्त होते हैं । </p> | ||
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फल-भोगनेवालों में भेद के कारण -
बुद्धिर्ज्ञानमसंमोहस्त्रिविध: प्रक्रम: स्मृत: ।
सर्वकर्माणि भिद्यन्ते तद्भेदाच्च शरीरिणाम् ।।४३७।।
अन्वय :- बुद्धि: ज्ञानम् असंमोह: (इति) त्रिविध: प्रक्रम: स्मृत: । तद्भेदात् च (बुद्ध्यादि- भेदात्) शरीरिणां सर्वकर्माणि भिद्यन्ते ।
सरलार्थ :- बुद्धि, ज्ञान और असंमोह - इन तीनों से कर्म-फल में भेद होता है और इनसे ही देहधारी जीवों के सब कार्य भेद को प्राप्त होते हैं ।