संकट हरण व्रत: Difference between revisions
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Revision as of 16:31, 11 October 2022
तीन वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्रमास में शु.13 से शु.15 तक उपवास। तथा 'ओं ह्राँ, ह्रीं ह्रूँ ह्रों ह्र: असि आ उसा सर्व शांति कुरु कुरु स्वाहा' इस मंत्र का त्रिकाल जप करे। (व्रत विधान सं./42)।