पल्यंक: Difference between revisions
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Revision as of 15:13, 14 October 2022
एक आसन । इस आसन में अंक में बाये हाथ की हथेली पर दायें हाथ की हथेली रहती है । दोनों हाथों की हथेलियाँ ऊपर की ओर होती हैं । आँखों को न तो अधिक खोला जाता है न बिल्कुल बंद किया जाता है । दृष्टि नासाग्र होती है । मुख बंद और शरीर सम, सरल तथा निश्चल होता है । यह आसन धर्मध्यान के लिए सुखकर होता है । महापुराण 21.60-62, 72, 34.188