प्रियमित्रा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक गणिनी (आर्यिका) । इसने विजयार्ध पर्वत के वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकेतु की पुत्री मदनवेगा को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 249-253 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक गणिनी (आर्यिका) । इसने विजयार्ध पर्वत के वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकेतु की पुत्री मदनवेगा को दीक्षा दी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 249-253 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सेठ कुबेरदत्त के पुत्र प्रीतिकर कुमार की | <p id="2">(2) सेठ कुबेरदत्त के पुत्र प्रीतिकर कुमार की बड़ी मां । अपर नाम प्रियमित्रिका । <span class="GRef"> महापुराण 76.331-333 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा मेघरथ की पत्नी, नंदिवर्धन की जननी । यह अत्यधिक रूपवती धी । देव-सभा में इसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर रतिषेणा और रति नाना दो देवियाँ इसका रूप देखने के लिए स्वर्ग से आयी थीं । तैल मर्दन कराती हुई इसे देखकर वे देवियाँ संतुष्ट हुई किंतु सुसज्ज अवस्था में इससे मिलकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई थी । वे इसके बाद नश्वर रूप को धिक्कारती हुई वहाँ से चली गयीं । <span class="GRef"> महापुराण 63.147-148, 288-295 </span>राजा और रानी दोनों विरक्त हो गये और राजा ने अपने पुत्र को राज्य देकर संयम धारण कर लिया । <span class="GRef"> पांडवपुराण 5.78-95 </span></p> | <p id="3">(3) राजा मेघरथ की पत्नी, नंदिवर्धन की जननी । यह अत्यधिक रूपवती धी । देव-सभा में इसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर रतिषेणा और रति नाना दो देवियाँ इसका रूप देखने के लिए स्वर्ग से आयी थीं । तैल मर्दन कराती हुई इसे देखकर वे देवियाँ संतुष्ट हुई किंतु सुसज्ज अवस्था में इससे मिलकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई थी । वे इसके बाद नश्वर रूप को धिक्कारती हुई वहाँ से चली गयीं । <span class="GRef"> महापुराण 63.147-148, 288-295 </span>राजा और रानी दोनों विरक्त हो गये और राजा ने अपने पुत्र को राज्य देकर संयम धारण कर लिया । <span class="GRef"> पांडवपुराण 5.78-95 </span></p> | ||
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Revision as of 23:47, 15 October 2022
(1) एक गणिनी (आर्यिका) । इसने विजयार्ध पर्वत के वस्त्वालय नगर के राजा सेंद्रकेतु की पुत्री मदनवेगा को दीक्षा दी थी । महापुराण 63. 249-253
(2) सेठ कुबेरदत्त के पुत्र प्रीतिकर कुमार की बड़ी मां । अपर नाम प्रियमित्रिका । महापुराण 76.331-333
(3) राजा मेघरथ की पत्नी, नंदिवर्धन की जननी । यह अत्यधिक रूपवती धी । देव-सभा में इसके सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर रतिषेणा और रति नाना दो देवियाँ इसका रूप देखने के लिए स्वर्ग से आयी थीं । तैल मर्दन कराती हुई इसे देखकर वे देवियाँ संतुष्ट हुई किंतु सुसज्ज अवस्था में इससे मिलकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई थी । वे इसके बाद नश्वर रूप को धिक्कारती हुई वहाँ से चली गयीं । महापुराण 63.147-148, 288-295 राजा और रानी दोनों विरक्त हो गये और राजा ने अपने पुत्र को राज्य देकर संयम धारण कर लिया । पांडवपुराण 5.78-95