अरक्षा भय
From जैनकोष
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/ श्लोक नं. अत्राणं क्षणिकैकांते पक्षे चित्तक्षणादिवत्। नाशात्प्रागंशनाशस्य त्रातुमक्षमतात्मनः।531।
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/ श्लोक नं. अत्राणं क्षणिकैकांते पक्षे चित्तक्षणादिवत्। नाशात्प्रागंशनाशस्य त्रातुमक्षमतात्मनः।531।