प्रजा
From जैनकोष
(1) संतान । महापुराण 3.142
(2) शासकों द्वारा रक्षित एवं अनुशासित जन । ये दो प्रकार के होते हैं― प्रथम वे लोग जो रक्ष्य होते हैं और दूसरे वे जो रक्षक होते हैं । क्षत्रियों को रक्षक माना गया है । महापुराण 42. 10
(1) संतान । महापुराण 3.142
(2) शासकों द्वारा रक्षित एवं अनुशासित जन । ये दो प्रकार के होते हैं― प्रथम वे लोग जो रक्ष्य होते हैं और दूसरे वे जो रक्षक होते हैं । क्षत्रियों को रक्षक माना गया है । महापुराण 42. 10