निवृत्ति
From जैनकोष
स.सा./ता.वृ./३०६/३८८/११ बहिरङ्गविषयकषायादीहागतचित्तस्य निवर्तनं निवृत्ति:। =बहिरंग विषय कषाय आदि रूप अभिलाषा को प्राप्त चित्त का त्याग करना अर्थात् अभिलाषाओं का त्याग करना निवृत्ति है।
- प्रवृत्ति में भी निवृत्ति का अंश
- प्रवृत्ति व निवृत्ति से अतीत— देखें - संवर / २ । तीसरी भूमिका ही श्रेय है— देखें - धर्म / ३ / २ ।