अप्रतिपत्ति
From जैनकोष
श्लोकवार्तिक/4/न्या.459/551/20
अनुपलंभोऽप्रतिपत्तिः।
= अनुपलब्धि को अप्रतिपत्ति कहते हैं। जिसकी अप्रतिपत्ति है उसका अभाव मान लिया जाता है।
श्लोकवार्तिक/4/न्या.459/551/20
अनुपलंभोऽप्रतिपत्तिः।
= अनुपलब्धि को अप्रतिपत्ति कहते हैं। जिसकी अप्रतिपत्ति है उसका अभाव मान लिया जाता है।