अकर्तृत्वनय
From जैनकोष
-एक नय
प्रवचनसार/तत्त्व प्रदीपिका/परिशिष्ठ/नय नं.39
अकर्तृनयेन स्वकर्मप्रवृत्तरञ्जकाध्यक्षवत्केवलमेव साक्षि।३९।
आत्मद्रव्य अकर्तृनय से केवल साक्षी ही है, अपने कार्य में प्रवृत्त रंगरेज को देखने वाले पुरुष की भांति। - देखें नय - I.5.4।