सचित्त निक्षेप
From जैनकोष
(धवला 5/1,7,1/184/7)
तव्वदिरित्तणोआगमदव्वभावो तिविहो सचित्ताचित्तमिस्सभेएण। तत्थ सचित्तो जीवदव्वं।
−द्वयतिरिक्त नोआगमद्रव्यभावनिक्षेप (यहाँ भाव का प्रकरण है) सचित्त अचित्त और मिश्र के भेद से तीन प्रकार का है।
उनमें जीव द्रव्य सचित्त भाव है । अधिक जानकारी के लिए देखें निक्षेप ।