शत्रुंजय
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र का एक पर्वत । यहाँ पाँचों पांडवों ने आकर प्रतिमायोग से ध्यान लगाया था । दुर्योधन के भानजे कुर्यधर अपर नाम क्षुयवरोधन ने पांडवों को लोहे के तप्त वस्त्र और आभूषण इसी पर्वत पर पहनाये थे । उपसर्ग जीतकर युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन इसी पर्वत से मुक्त हुए और नकुल तथा सहदेव सर्वार्थसिद्धि विमान में उत्पन्न हुए । यह पर्वत एक तीर्थ के रूप में मान्य हुआ । (महापुराण 72.267-270), (हरिवंशपुराण - 65.18-20)
(2) राजा विनमि विद्याधर का पुत्र । (हरिवंशपुराण - 22.104)
(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का सातवाँ नगर । (महापुराण 19.80, 87), (हरिवंशपुराण - 22.86)
(4) राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी का तिरेपनवां पुत्र । (पांडवपुराण 8.199)
(5) एक राजा । यह रोहिणी के स्वयंवर में आया था । रोहिणी के लिए इसने वसुदेव के साथ युद्ध किया था । वसुदेव ने इसका रथ और कवच तोड़ डाला था और इसे मूर्च्छित अवस्था में छोड़ दिया था । (हरिवंशपुराण - 31.27, 94-95, 50.131-132)