मुष्टि विधान व्रत
From जैनकोष
प्रतिवर्ष भादौ, माघ व चैत्र मास में अर्थात् तीनों दशलक्षण पर्वों में कृष्णा 1. से शुक्ल पक्ष की 15 तक पूरे-पूरे महीने प्रतिदिन 1 मुष्टि प्रमाण शुभ द्रव्य भगवान् के चरणों में चढ़ाकर अभिषेक व चतुर्विंशति जिन पूजन करें। ‘ओं ह्रीं वृषभादिवीरांतेभ्यो नम: इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करें।