विधि
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
- विधि
धवला 13/5, 5, 50/285/12 कथं श्रुतस्य विधिव्यपदेशः। सर्वनयविषयाणामस्तित्वविधायकत्वात्। चूँकि वह सब नयों के विषय के अस्तित्व का विधायक है, इसलिए श्रुत की विधि संज्ञा उचित ही है।
देखें द्रव्य - 1.7 (सत्ता, सत्त्व, सामान्य, द्रव्य, अन्वय, वस्तु विधि, अविशेष ये एकार्थवाची शब्द हैं)।
देखें सामान्य-6 [सामान्य विधि रूप होता है और विशेष उसके निषेध रूप] ।
देखें कर्म - 3.1 (विधि कर्म का पर्यायवाची नाम है)।
- अन्य संबंधित विषय
- दान की विधि।–देखें दान - 5।
- विधि निषेध की परस्पर सापेक्षता।–देखें सप्तभंगी - 1.3।
- दान की विधि।–देखें दान - 5।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण
(2) राम का सामंत । इसने वितापि योद्धा को गदा के प्रहार से मारा था । पद्मपुराण - 58.9-11, 60. 20