क्षेमकीर्ति
From जैनकोष
काष्ठासंघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें - इतिहास ) यह यश:कीर्ति के शिष्य थे। समय–वि० १०५५ ई० ९९८ (प्रद्युम्नचरित्र/प्र० प्रेमीजी); (ला.सं./१/६४-७०)। देखें - इतिहास / ७ / ९ । २. यश:कीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। इनके समय में ही पं० राजमल्लजी ने अपनी लाटी संहिता पूर्ण की थी। समय वि० १६४१ ई०१५८४। (स.सा./कलश टी०/प्र.५ ब्र०शीतल)।