कुंचित
From जैनकोष
अनगारधर्मामृत/8/98-111/822 ......करामर्शोऽथ जांवंतः क्षेपः शीर्षस्य कुंचितम्। दृष्टं पश्यन् दिशः स्तौति पश्यन्स्वान्येषु सुष्ठु वा।107। ...... द्वात्रिंशो वंदने गीत्या दोषः सुललिताह्वयः। इति दोषोज्झिता कार्या वंदना निर्जरार्थिना।111। =
- वंदना के 32 अतिचार
- ......
- दोनों घुटनों के बीच में सिर रखना कुंचित दोष,
कायोत्सर्ग का अतिचार–देखें व्युत्सर्ग 1.10।