दर्शनविशुद्धि व्रत
From जैनकोष
औपशमिकादि (उपशम, क्षयोपशम व क्षायिक) तीनों सम्यक्त्वों के आठ अंगों की अपेक्षा 24 अंग होते हैं। एक उपवास एक पारणा क्रम से 24 उपवास पूरे करे। जाप–नमोकार मन्त्र का त्रिकाल जाप, (ह.पु./34/99)। (व्रत विधान संग्रह/107) (सुदृष्टितरंगिणी/ )