संघातन
From जैनकोष
1. संघातन कृति का लक्षण
धवला 9/4,1,69/326/9 तत्थअप्पिदसरीरपरमाणूणं णिज्जराए विणा जो संचयो सा संघादणकदी णाम। =(पाँचों शरीरों में से) विवक्षित शरीर के परमाणुओं का निर्जरा के बिना जो संचय होता है उसे संघातन कृति कहते हैं।
2. संघातन-परिशातन (उभय रूप) कृति का लक्षण
धवला 9/4,1,69/327/2 अप्पिदसरीरस्स पोग्गलक्खंधाणमागम-णिज्जराओ संघादण-परिसादणकदी णाम। =(पाँचों शरीरों में से) विवक्षित शरीर के पुद्गल स्कंधों का आगमन और निर्जरा का एक साथ होना संघातन-परिशातन कृति कही जाती है।
* पाँचां शरीरों की संघातन-परिशातन कृति। देखें ( धवला 9/355-451 )।