औपशमिक चारित्र
From जैनकोष
मोहनीय कर्म के पूर्णत: उपशमन से प्राप्त चारित्र । इसकी उपलब्धि से मोक्ष मिलता है । महापुराण 11.91, हरिवंशपुराण - 3.145
मोहनीय कर्म के पूर्णत: उपशमन से प्राप्त चारित्र । इसकी उपलब्धि से मोक्ष मिलता है । महापुराण 11.91, हरिवंशपुराण - 3.145