वनमाला
From जैनकोष
- प.पु./३६/श्लोक - वैजयन्तपुर के राजा पृथिवीधर की पुत्री थी । बाल्यावस्था से ही लक्ष्मण के गुणों में अनुरक्त थी ।१५। राम-लक्ष्मण के वनवास का समाचार सुन आत्महत्या करने वन में गयी ।१८, १९ । अकस्मात् लक्ष्मण से भेंट हुई ।४१, ४४ ।
- ह.पु./१४/श्लोक−वीरक सेठ की स्त्री थी कामासक्तिवश । (१७/८४)। अपने पति को छोड़ राजा सुमुख के पास रहने लगी । (१४/९४) । वज्र के गिरने से मरी । आहारदान के प्रभाव से विद्याधरी हुई । (१५/१२-१८) । इसी के पुत्र हरि से हरिवंश की उत्पत्ति हुई । (१५/५८) ।−देखें - मनोरमा ।