वस्तुत्व
From जैनकोष
आ.प./६ वस्तुनो भावो वस्तुत्वम्, सामान्यविशेषात्मकं वस्तु। = वस्तु के भाव को वस्तुत्व कहते हैं। वह वस्तु सामान्य बिशेषात्मक है। [अथवा अर्थक्रियाकारी है अथवा गुण पर्यायों को वास देने वाली है (देखें - वस्तु )। ]
स.भ.त./३८/५ स्वपररूपोपादानापोहनव्यवस्थाप्यं हि वस्तुनो वस्तुत्वम्। = अपने स्वरूप के ग्रहण और अन्य के स्वरूप के त्याग से ही वस्तु के वस्तुत्व का व्यवस्थापन किया जाता है।