वृषभ
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से ==
द्र.सं./टी./1/6/1 वृषभो प्रधानः । = 1. वृषभ अर्थात् प्रधान ।
स्व.स्तो.टी./1/3 वृषो धर्मस्तेन भाति शोभते स वा भाति प्रगटीभवति यस्मादसौ वृषभः । = वृष नाम धर्म का है । उसके द्वारा शोभा को प्राप्त होता है या प्रगट होता है इसलिए वह वृषभ कहलाता है–अर्थात् आदिनाथ भगवान् ।
ति.प./4/215 सिंगमुहकण्णजिंहालोयणभूआदिएहि गोसरिसो । वसहो त्ति तेण भण्णइ रयणामरजीहिया तत्थ ।215। = (गंगा नदी का) वह कूटमुख सींग, मुख, कान, जिह्वा, लोचन और भ्रकुटी आदिक से गौ के सदृश है, इसलिए उस रत्नमयी जिह्वि का (जृम्भि का) को वृषभ कहते हैं । (ह.पु./5/140-141); (त्रि.सा./585); (ज.प./3/151) ।
पुराणकोष से
(1) भरतेश और सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 24.33, 70, 25.75, 100, 143, हरिवंशपुराण 1. 3, देखें ऋषभ
(2) राक्षस महाकाल से प्रद्युम्न को प्राप्त एक रथ । महापुराण 72. 111
(3) चौथे बलभद्र सुप्रभ के पूर्वभव के दीक्षागुरु । पद्मपुराण 20.234