प्रादोषिक काल
From जैनकोष
मू.आ./270 का भावार्थ - जिसमें रात का भाग है वह प्रदोष काल है अर्थात् रात के पूर्वभाग के समीप दिन का पश्चिम भाग वह सुबह शाम दोनों कालों में प्रदोष काल जानना ।
मू.आ./270 का भावार्थ - जिसमें रात का भाग है वह प्रदोष काल है अर्थात् रात के पूर्वभाग के समीप दिन का पश्चिम भाग वह सुबह शाम दोनों कालों में प्रदोष काल जानना ।