बिंब
From जैनकोष
- Disc(ज.प./प्र.107) .
- बो.पा./मू./16 जिणबिबं णाणमयं संजमसुद्धं सुवीयरायं च । जं देई दिक्खसिक्खा कम्मक्खयकारणे सुद्दा ।16। = जो ज्ञानमयी है, संयम से शुद्ध है, अतिशय वीत राग है, और कर्म के क्षय का कारण है, शुद्ध है ऐसी दीक्षा और शिक्षा देता है । ऐसा जिनबिम्ब अर्थात् जिनेन्द्र भगवान् का प्रतिबिम्बस्वरूप आचार्य का स्वरूप है ।