छेद प्रायश्चित्त
From जैनकोष
- छेद प्रायश्चित्त का लक्षण
स.सि./9/22/440/9 दिवसपक्षमासादिना प्रवर्ज्याहापनं छेद:। =दिवस, पक्ष, महीना आदि की प्रव्रज्या का छेद करना छेदप्रायश्चित्त है। (रा.वा./9/22/8/621/30); (भ.आ./वि./6/32/21), (त.सा./7/26), (चा.सा./143/1)।
ध.13/5,4,26/61/8 दिवस-पक्ख–मास-उदु-अयण-संवरच्छरादिपरियायं छेत्तूण इच्छितपरियायादो हेट्ठिमभूमीए ठवणं छेदो णमा पायछित्तं। =एक दिन, एक पक्ष, एक मास, एक ऋतु,, एक अयन और एक वर्ष आदि तक की दीक्षा पर्याय का छेद कर इच्छित पर्याय से नीचे की भूमिका में स्थापित करना छेद नाम का प्रायश्चित्त है। - छेद प्रायश्चित्त के अतिचार
भ.आ./वि./487/707/24 एवं छेदस्यातिचार: न्यूनो जातोऽहमिति संक्लेश;। = ‘मैं न्यून हो गया हूं’ ऐसा मन में संक्लेश करना छेद प्रायश्चित्त है। - <a name="3" id="3"></a>छेद प्रायश्चित्त किसको किस अपराध में दिया जाता है–देखें प्रायश्चित्त - 4।