अश्वग्रीव
From जैनकोष
महापुराण सर्ग संख्या ५७/श्लो.नं. दूरवर्ती पूर्व भवमें राजगृहीके राजा विश्वभूतिके छोटे भाई विशाखभूतिके पुत्र विशाखनन्दी था ।।७३।। चिरकाल पर्यन्त अनेक योनियोंमें भ्रमण करनेके पश्चात् पुण्यके प्रतापसे उत्तर विजयार्धके राजा मयूरग्रीवके यहाँ अश्वग्रीव नामका पुत्र हुआ ।।८७-८८।। यह वर्तमान युगका प्रथम प्रतिनारायण था - देखे शलाकापुरुष ५।