देखें धारणा - 1 धरणी, धारणा, स्थापना, कोष्ठा और प्रतिष्ठा एकार्थवाची हैं।
ध.13/5,5,4/243/11 स्थाप्यते अनया निर्णीतरूपेण अर्थ इति स्थापना। = जिसके द्वारा निर्णीत रूप से अर्थ स्थापित किया जाता है वह स्थापना है।
पूजा में स्थापना का विधि निषेध-देखें पूजा - 5।
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