चतुर्मुखमह
From जैनकोष
अर्हन्त की चतुर्विध पूजा का एक भेद । यह एक महायज्ञ है और महामुकुटबद्ध राजाओं के द्वारा सम्पन्न होता है । अपरनाम सर्वतोभद्र । महापुराण 37.26-30, 73. 58
अर्हन्त की चतुर्विध पूजा का एक भेद । यह एक महायज्ञ है और महामुकुटबद्ध राजाओं के द्वारा सम्पन्न होता है । अपरनाम सर्वतोभद्र । महापुराण 37.26-30, 73. 58