जिनेंद्र
From जैनकोष
(1) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 170
(2) अर्हन्त । ये स्वयं केवलज्ञान के धारक होते हैं और समाज को रत्नत्रय का उपदेश देते हैं । जहाँ केवलज्ञान प्राप्त करते हैं वह स्थान तीर्थ हो जाता है । महापुराण 1, 2, 4, हरिवंशपुराण 1.6