धूमवेग
From जैनकोष
श्रीपाल के पूर्वभव का बैरी एक विद्याधर । इसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि ये श्रीपाल को श्मशान में ले जाकर पाषाण-शस्त्रों से मार दे । इन शस्त्रों से मारे जाने पर भी श्रीपाल आहत नहीं हुआ, पत्थर उसे फूल बन गये । इसने श्रीपाल को एक अग्निकुण्ड में भी डाल दिया किंतु इसके पास की महौषधि की शक्ति से वह अग्नि भी शान्त हो गयी और श्रीपाल अग्निकुण्ड से निकल गया । महापुराण 47.89-90, 107-110