मध्यम-शातकुंभ
From जैनकोष
शातकुम्भ दत का एक भेद । इसमें नौ, आठ, सात, छः, पाँच, चार, तीन, दो, एक-आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार तीन, दो, एक, आठ, सात, छ:, पाँच, चार, तीन दो, एक, इस क्रम से एक सौ त्रेपन उपवास तथा उपवासों की एक संख्या के पूर्ण होने पर एक पारणा के क्रम से कुछ तैंतीस पारणाएँ की जाती है । हरिवंशपुराण 34.87-88