वनस्पतिकायिक
From जैनकोष
वनस्पति-शरीरधारी एकेन्द्रिय जीव । ये छेदन-भेदन जनित महादुःख सहते हैं । इन जीवों की कुयोनियां दस लाख और कुलकोटियां अट्ठाईस लाख तथा उत्कृष्ट आयु दस हजार वर्ष होती है । ये जीव अनेक आकारों के होते हैं । महापुराण 17.22-23, हरिवंशपुराण 3. 221, 18. 54, 58, 60, 66, 71