विपरीतमिथ्यात्व
From जैनकोष
मिथ्यात्व के पांच भेदों में चौथा भेद । इससे ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का यथार्थ स्वरूप ज्ञात नहीं होकर विपरीत स्वरूप प्राप्त होता है । महापुराण 62. 297, 301
मिथ्यात्व के पांच भेदों में चौथा भेद । इससे ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का यथार्थ स्वरूप ज्ञात नहीं होकर विपरीत स्वरूप प्राप्त होता है । महापुराण 62. 297, 301