सज्जातिक्रिया
From जैनकोष
परम निर्वाण के खान स्थानों में प्रथम स्थान और भव्य प्राणी के ही होने योग्य कर्त्रन्वय क्रियाओं में कल्याणकारिणी प्रथम क्रिया सस्कार । पिता के वंश की शुद्धि कुल और माता के वंश की शुद्धि जाति है तथा कुल और जाति दोनों की शुद्धि सज्जाति कहलाती है । यह शुभकृत्य करने से प्राप्त होती है । इष्ट पदार्थों की सिद्धि इसका फल है । महापुराण 38.67, 39.81-86