सम्यक्त्वक्रिया
From जैनकोष
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में प्रथम क्रिया । शास्त्र, अर्हन्तदेव-प्रतिमा तथा सच्चे गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना सम्यक्त्वक्रिया है । इससे सम्यक्त्व की उपलब्धि और पुण्यबन्ध होता है । हरिवंशपुराण 58.61
साम्परायिक आस्रव की पच्चीस क्रियाओं में प्रथम क्रिया । शास्त्र, अर्हन्तदेव-प्रतिमा तथा सच्चे गुरु की पूजा-भक्ति आदि करना सम्यक्त्वक्रिया है । इससे सम्यक्त्व की उपलब्धि और पुण्यबन्ध होता है । हरिवंशपुराण 58.61