सूरवीर
From जैनकोष
काक-माल के त्यागी खदिरसार भील का साला । खदिरसार के बीमार होने पर इसने उसे काक-मांस खाने के लिए बाध्य किया था किन्तु खदिरसार अपने नियम पर दृढ़ रहा जिसके फल से वह मरकर, सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ खदिरसार के व्रत का यह फल जानकर इसने भी समाधिगुप्त योगी से गृहस्थ के व्रत ग्रहण कर लिए थे । इसका अपर नाम शूरवीर था । महापुराण 70.400-415, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.113-133 देखें शूरवीर - 2