निर्दंड
From जैनकोष
नि.सा./ता.वृ./43 मनोदण्डो वचनदण्ड: कायदण्डश्चेत्येतेषां योगयद्रव्यभावकर्मणामभावान्निर्दण्ड:। =मनदण्ड अर्थात् मनोयोग, वचनदण्ड और कायदण्ड के योग्य द्रव्यकर्मों तथा भावकर्मों का अभाव होने से आत्मा निर्दण्ड है।
नि.सा./ता.वृ./43 मनोदण्डो वचनदण्ड: कायदण्डश्चेत्येतेषां योगयद्रव्यभावकर्मणामभावान्निर्दण्ड:। =मनदण्ड अर्थात् मनोयोग, वचनदण्ड और कायदण्ड के योग्य द्रव्यकर्मों तथा भावकर्मों का अभाव होने से आत्मा निर्दण्ड है।