मुक्तावलीव्रत
From जैनकोष
एक व्रत । इसमें 1, 2, 3, 4, 5, 4, 3, 2, 1 के क्रम से पच्चीस उपवास और उपवासों के पश्चात् एक पारणा की जाती है । इस प्रकार यह व्रत चौंतीस दिनों में पूर्ण होता है । ऐसा व्रती मनुष्यों में श्रेष्ठ होकर अन्त में मोक्ष जाता है । महापुराण 7.30-31, हरिवंशपुराण 34.69-70, 60.83-84