विश्वभूति
From जैनकोष
(1) सगर चक्रवर्ती का पुरोहित । सगर के कहने पर इसने मनुष्यों के लक्षणों को बताने वाला एक सामुद्रिक-शास्त्र बनाया था । इसी शास्त्र की रचना से सगर सुलसा को स्वयंवर में प्राप्त कर सका था । इसका अपर नाम विश्वभू था । हरिवंशपुराण 23.56 108-110, 125
(2) मगधदेश के राजगृह नगर का राजा । इसकी रानी जैनी और पुत्र विश्वनन्दी था । यह शरद् ऋतु के मेघों का विनाश देखकर भोगों से विरक्त हो गया । फलस्वरूप इसने अपने छोटे भाई विशाखभूति को राजा तथा पुत्र विश्वनन्दी को युवराज बनाया । अन्त में इसने तीन राजाओं के साथ श्रीधर मुनि के पास मुनिदीक्षा ले ली । महापुराण 74.86-91, 57.70-75, वीरवर्द्धमान चरित्र 3. 10-17
(3) जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पोदनपुर नगर का एक ब्राह्मण । अनुन्धरी इसकी पत्नी तथा कमल और मरुभूति पुत्र थे । महापुराण 73.6-9