व्यवहारदर्शन
From जैनकोष
तत्त्वार्थ का शंका आदि दोषों से रहित तथा नि:शकादि गुणों से सहित श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.3
तत्त्वार्थ का शंका आदि दोषों से रहित तथा नि:शकादि गुणों से सहित श्रद्धान व्यवहार-सम्यग्दर्शन कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.3