सम्यग्दर्शन के दस भेदों में प्रथम भेद― सर्वज्ञ देव की आज्ञा से छ: द्रव्यों मे रुचि (श्रद्धा) होना । महापुराण 74.439-441, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.143 देखें सम्यक्त्व
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