आरंभत्याग
From जैनकोष
ग्यारह प्रतिमाओं मे आठवीं प्रतिमा । इसमें सभी निन्द्य और अशुभ कर्मों का त्याग किया जाता है । ऐसा त्यागी समताभाव से मरकर उत्तम गति को प्राप्त होता है । पद्मपुराण 4.47, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65
ग्यारह प्रतिमाओं मे आठवीं प्रतिमा । इसमें सभी निन्द्य और अशुभ कर्मों का त्याग किया जाता है । ऐसा त्यागी समताभाव से मरकर उत्तम गति को प्राप्त होता है । पद्मपुराण 4.47, वीरवर्द्धमान चरित्र 18.65