कालानुयोग - भव्यत्व मार्गणा
From जैनकोष
11. भव्यत्व मार्गणा—
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
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प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
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नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
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सू. |
सू. |
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सू. |
सू. |
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भव्य |
... |
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42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
310 |
184 |
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अनादि सान्त (अयोग केवली के अन्तिम समय तक) |
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... |
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42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
310 |
185 |
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सादि सान्त (सम्यक्त्वोत्पत्ति के पश्चात् वाले विशेष भव्यत्व की अपेक्षा) |
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अभव्य |
... |
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42-43 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
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187 |
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अनादि अनन्त |
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भव्य (सादि सान्त) |
1 |
309 |
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सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
312-313 |
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अन्तर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
कुछ कम अर्ध पु.परि. |
मूलोघवत् |
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2-14 |
314 |
— |
— |
मूलोधवत् |
— |
— |
314 |
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— |
–मूलोघवत्– |
— |
— |
अभव्य |
1 |
315 |
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सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
316 |
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अनादि अनन्त |
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